Sunday, March 4, 2018

परिजनों की तरह नागरिकों की स्वास्थ्य चिंता करते हैं मुख्यमंत्री - रुस्तम सिंह

परिजनों की तरह नागरिकों की स्वास्थ्य चिंता करते हैं मुख्यमंत्री - रुस्तम सिंह 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018


 
    अपने प्रशासनिक और राजनैतिक जीवन में मैंने कई मुख्यमंत्री देखे। श्री शिवराज सिंह चौहान उनसे बिल्कुल भिन्न मुख्यमंत्री हैं। आदत थी मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री के रूप में देखने की। श्री चौहान व्यक्ति पहले हैं मुख्यमंत्री बाद में। श्री चौहान के लिये मुख्यमंत्री पद के मायने हैं गरीब, कमजोर तबकों के उन्नयन के साथ प्रदेश का सर्वांगीण विकास। स्वास्थ्य विभाग की बैठकों में मैंने पाया कि मुख्यमंत्री प्रदेश के नागरिकों खासतौर से गरीब लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान कुछ इस तरह रखते हैं जैसे वे उनके घर-परिवार के ही लोग हों।
    मध्यप्रदेश में पिछले 14 सालों में स्वास्थ्य सुविधाओं में न केवल अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए नवाचारों में भी प्रदेश देश में अग्रणी है। मुख्यमंत्री की चिंता का ही परिणाम है कि प्रदेश में आज लाखों रुपये के खर्च वाले हृदय, किडनी, कैंसर आदि बड़े-बड़े रोगों के इलाज और दवाएँ आर्थिक रूप से असमर्थ लोगों के लिए निःशुल्क उपलब्ध हैं। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से लेकर वृद्धजनों तक सभी के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जा रहा है।
    मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के लिये प्रदेश में अभिनव पहल करते हुए स्वास्थ्य और महिला-बाल विकास की संयुक्त टीमें बनाई गई हैं। दस्तक अभियान में ये टीमें घर-घर जाकर कुपोषित-अतिकुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उनके इलाज और पोषण का प्रबंध कर रही हैं। वर्ष 2017-18 के प्रथम चरण में 76 लाख 68 हजार बच्चों की जाँच की गई। इनमें से 15 हजार 349 गंभीर कुपोषित बच्चों का प्राथमिकता के आधार पर उपचार कराया गया। गंभीर ऐनीमिक 8,726 बच्चों की पहचान की जाकर 1476 बच्चों को खून चढ़ाया गया। साथ ही 63 लाख 24 हजार बच्चों को विटामिन श्एश् की खुराक दी गई। सघन मिशन इन्द्रधुनष अभियान में अक्टूबर 2017 से जनवरी 2018 तक 14 जिलों में 2 लाख 82 हजार टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों का और 59 हजार 730 गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया। वर्ष 2017-18 में महिला स्वास्थ्य शिविरों में 21 लाख महिलाएँ लाभान्वित हुईं। मुझको विश्वास है कि इन प्रयासों से भविष्य में सुखद परिणाम मिलेंगे। निश्चित रूप से मध्यप्रदेश में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी।
    मध्यप्रदेश के 51 जिलों में से 38 जिलों को एक से 18 वर्ष तक के बच्चों को कटे होंठ एवं फटे तालु से मुक्त घोषित किया गया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में 71 हजार से अधिक बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। जिसमें 8 लाख 63 बच्चे विभिन्न बीमारियों से ग्रसित पाये गये। इनमें से 6 लाख 51 हजार बच्चों को उपचारित और 16 हजार 294 की निःशुल्क सर्जरी की गई। मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना में 1160 बच्चों की हृदय चिकित्सा, मुख्यमंत्री बाल श्रवण उपचार योजना में 373 बच्चों की कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी कराई गई। इन पर खर्च होने वाला लाखों का खर्चा शासन ने उठाया।
    राज्य बीमारी सहायता निधि से पिछले साल 10,100 हितग्राहियों पर 102 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई। इस वर्ष दिसम्बर तक निधि में 60 करोड़ रुपये व्यय किये जा चुके हैं। प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों में कैंसर रोगियों को निःशुल्क कीमोथेरेपी सुविधा दी जा रही है। अब तक करीब 20 हजार रोगियों ने पंजीयन कराया है। सभी जिला चिकित्सालयों में कीमोथेरेपी के लिये आवश्यक 19 प्रकार की दवाइयाँ उपलब्ध है। निःशुल्क डॉयलिसिस सुविधा भी सभी 51 जिलों में उपलब्ध है। प्रदेश में 160 डॉयलिसिस मशीन स्थापित और लगभग 18 हजार रोगी पंजीकृत हैं। किडनी मरीजों के लिये इस वर्ष अब तक करीब 60 हजार डॉयलिसिस सत्र किये जा चुके हैं। प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों में ट्रॉमा यूनिट की स्थापना की जा रही है। 36 जिलों में अगले वर्ष से ट्रॉमा यूनिट क्रियाशील हो जाएगी। निःशुल्क सिटी स्केन सुविधा भी वर्ष 2018-19 में प्रदेश के 19 जिला चिकित्सालयों में शुरू हो रही है। मुख्यमंत्री की मंशानुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भस्थ शिशु, गर्भवती माता, किशोरी-किशोर, वृद्ध और आमजनों को बड़े से बड़े रोग में भी आसान चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। इनके दूरगामी परिणाम दिखने भी लगे हैं। वह दिन दूर नहीं जब मुख्यमंत्री का विकसित ओर स्वस्थ मध्यप्रदेश का सपना पूरा होगा।
 

शिवराज सिंह चौहान तोड़ने नहीं जोड़ने का कार्य करते हैं

शिवराज सिंह चौहान तोड़ने नहीं जोड़ने का कार्य करते हैं 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018
 

     शिवराज सिंह चौहान तोड़ने नहीं जोड़ने, बिगाड़ने नहीं बनाने में पारंगत हैं। यही उनकी खूबी है, विशिष्टता है। शिवराज जी से मैं सन 1981-82 से जुड़ा हूँ, जब मैं हमीदिया कॉलेज में फर्स्ट इयर में पढ़ता था। मैं विद्यार्थी परिषद से जुड़ा था, लेकिन कॉलेज चुनाव में यूथ पावर पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन करते थे। इस दौरान ही शिवराज जी श्री तपन भौमिक के साथ कॉलेज आये और हमें छात्र राजनीति की बारीकियों को बताया। तब से मैं उनसे लगातार सम्पर्क में रहा।
    शिवराज जी की विशेषता है कि वे कभी कोई बात थोपते नहीं। सबकी सुनते हैं, राय लेते हैं और सर्वजन हिताय निर्णय लेते हैं। किसी भी बात पर उनसे चर्चा करो तो वे मुख्यमंत्री की तरह नहीं बड़े भाई की तरह पूरी आत्मीयता से मार्गदर्शन करते हैं। यह उनकी सहजता, सरलता और आत्मीयता ही है कि एक बार जो उनसे मिलता है, उनका मुरीद हो  जाता है। उन्होंने बच्चों से मामा का रिश्ता महज नाम के लिए नहीं उसे निभाने के लिए बनाया है।
    शिवराज जी ने मुख्यमंत्री निवास में विभिन्न वर्गों की पंचायत बुलाई। उनके कल्याण की योजनाओं की चर्चा की। चर्चा में निकले निष्कर्षों के आधार पर योजनाएँ बनायीं। परिणामस्वरूप उनकी सभी योजनाएँ न केवल प्रदेश में सफल हुईं बल्कि उनकी ख्याति देश और विदेशों में भी हुई।
    जब लगता है कि हम बहुत काम करते हैं, थक जाते हैं तब एक बार उनसे मिल लेते हैं तो सारी थकान दूर हो जाती है। उनके द्वारा रोज किये जा रहे कार्यों की जब जानकारी मिलती है तो लगता है कि हम तो बहुत कम काम कर रहे हैं। इस तरह से उनसे हमेशा और बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है। उनसे मिलने के बाद काम करने का जोश बढ़ जाता है।
 

गाँव वालों की आय बढ़ाने के प्रयासों से गाँवों में आई है खुशहाली

गाँव वालों की आय बढ़ाने के प्रयासों से गाँवों में आई है खुशहाली 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018
 
    मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल मध्यप्रदेश की प्रगति में टर्निंग प्वांइट सिद्ध हुआ है। उनके संकल्प धरातल पर दिखने लगे है। बेटियों को बोझ समझने की सदियों पुरानी मानसिकता से समाज को मुक्त कराने के उनके कार्य की जितनी भी प्रशंसा की जाये, कम है। महिलाओं का सशक्तिकरण होने से ग्रामीण महिलाएँ स्व-सहायता समूह, आजीविका परियोजना, मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना आदि से जुड़कर परिवार की सामाजिक-आर्थिक उन्नति का कारण बन रही हैं। बेटियों के जन्म संबंधी सोच में आये अद्भुत बदलाव का लाभ देश और प्रदेश को भी मिल रहा है। प्रदेश प्रगति की ओर अधिक गति से अग्रसर हो रहा है। प्रदेश की पर केपिटा आय बढ़ी है।  मुख्यमंत्री ग्रामीणों की आय बढ़ाने के जो प्रयास कर रहे हैं उनमें मछली-पालन और पशुपालन विभाग का महत्वपूर्ण योगदान है। इससे किसान परिवारों को आय का अतिरिक्त जरिया मिला है। मत्स्य पालकों को उन्नत तकनीक का प्रशिक्षण देने से प्रदेश में इस वर्ष एक लाख 38 हजार टन मत्स्योत्पादन हुआ, जो गत वर्ष की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। मत्स्य-पालकों को 0 प्रतिशत ब्याज दर पर आर्थिक सहायता दिलाने के लिये 58 हजार मछुआ क्रेडिट कार्ड बनवाये जा चुके हैं। सुव्यवस्थित मत्स्य-विक्रय के लिय 8 थोक और 187 फुटकर मछली बाजार स्थापित किये गये हैं।
सदियों से किसान और पशुधन का साथ रहा है। मुख्यमंत्री आज इसी पशुधन की सहायता से किसानों की आय को दोगुना करने के सार्थक प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2016-17 से आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना शुरू करवाई है। इसमें पालक को 10 लाख रुपये तक की राशि डेयरी इकाई के लिये दी जाती है। वर्ष 2017-18 में 1350 हितग्राहियों को 18 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सहायता दी गई।
    प्रदेश में वर्ष 2015-16 में दुग्ध उत्पादन 12.14 मिलियन था, जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 13.45 मिलियन टन हो गया। आज दूध उत्पादन में प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है और किसानों को आय का एक मजबूत अतिरिक्त जरिया हासिल है। किसानों के पशु स्वस्थ रहें और भरपूर उत्पादन दें, इसके लिये पिछले साल से गोकुल महोत्सव शुरू किया गया है। गत वर्ष 28 अक्टूबर से 30 नवम्बर 2017 तक हुए गोकुल महोत्सव में प्रदेश के 50 हजार 700 गाँवों के 24 लाख 45 हजार पशुपालकों के एक करोड़ 62 लाख 26 हजार पशुओं को उन्हीं के गांव-घर में चिकित्सा सुविधाएँ दी गईं। बकरी पालन के लिये 1875 हितग्राहियों को 448 लाख का अनुदान भी दिया गया।
    दुग्ध उत्पादकों को सहकारी डेयरी कार्यक्रम का लाभ दिलाने के लिये प्रदेश के लगभग 27 हजार दुग्ध उपलब्धता वाले गाँव का सर्वेक्षण करवाया गया। आज इनमें 3034 दुग्ध संकलन केन्द्र चल रहे हैं। इनके माध्यम से प्रतिदिन डेढ़ हजार किलोग्राम से अधिक दूध संकलन किया जा रहा है। प्रदेश में 6700 दुग्ध सहकारी समितियाँ कार्यरत हैं। मुख्यमंत्री की मंशा को देखते हुए अक्टूबर 2017 तक 348 नई समितियों का गठन किया गया है।
    दुग्ध उत्पादकों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिये दूध क्रय रेट 600 रुपये प्रति किलो फेट की दर से बढ़ाकर 620 रुपये किया गया। वर्ष 2017-18 में अक्टूबर तक दुग्ध उत्पादकों को 791 करोड़ का भुगतान किया गया, जो गत वर्ष की तुलना में 44 प्रतिशत अधिक है। इससे लगभग एक लाख 77 हजार दुग्ध उत्पादक लाभान्वित हुए हैं। पशु आहार सुदाना की विक्रय दरों में भी 50 पैसे प्रति किलो की कमी की गई। इससे दुग्ध उत्पादकों को उत्पादन लागत में राहत मिली।
    प्रदेश में डेयरी, कुक्कुट, बकरी, शूकर, कड़कनाथ आदि से रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये भी अनेक योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। पशुपालन विभाग कृषि विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर किसानों और महिलाओं को इनका अधिकाधिक लाभ दिलाने के लिये काम कर रहा है।
    यह मुख्यमंत्री की सोच और मध्य्रपदेश की उन्नति के लिये जुनून का ही कमाल है कि आज आदिवासी क्षेत्रों और गाँवों में सोच बदली है। महिलाएँ झिझक छोड़कर घर- परिवार संभालने के साथ आर्थिक दशा भी मजबूत कर रही हैं। महिलाएँ बैंक सखी, रेडीमेड गारमेंट, पशु-मछली पालन, सिलाई, उद्यानिकी आदि के प्रति अग्रसर हुई हैं। सरकारी योजनाओं के प्रति उपजी जागरूकता का परिणाम उनके बच्चों की अच्छी परवरिश के रूप में सामने आ रहा है। ये बच्चे आगे चलकर देश और प्रदेश का उज्जवल भविष्य बनेंगे।
    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने समाज के हर वर्ग की चिन्ता की है। उन्होंने देश-विदेश के निवेशकों को प्रदेश की ओर आकर्षित कर और नयी रोजगार योजनाएँ आरंभ कर युवाओं के लिये रोजगार के नये अवसर मुहैया करवाये हैं। प्रतिवर्ष होने वाले सूर्य नमस्कार से विद्यार्थियों में बाल्यावस्था से ही मानसिक और शारीरिक फिटनेस के लिये संस्कार आ रहा है।

भावान्तर योजना में रबी फसलों के लिये 1,60,206 किसानों ने कराया पंजीयन

भावान्तर योजना में रबी फसलों के लिये 1,60,206 किसानों ने कराया पंजीयन 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018

     प्रदेश में रबी सीजन 2017-18 में 4 फसलों चना, सरसों, प्याज और मसूर के लिये प्रदेश के 257 कृषि उपज मंडी समितियों में भावान्तर भुगतान योजना में किसानों का पंजीयन 12 फरवरी से लगातार किया जा रहा है। पंजीयन का कार्य 3500 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों में भी किया जा रहा है। भावान्तर भुगतान योजना में निरूशुल्क पंजीयन का कार्य 12 मार्च तक किया जायेगा। अब तक प्रदेश में भावान्तर भुगतान योजना के पोर्टल पर एक लाख 60 हजार 206 किसानों ने पंजीयन कराया है। चना फसल के लिये एक लाख 25 हजार 549 किसानों ने, सरसों के लिये 20 हजार 347 किसानों ने, प्याज के लिये 9 हजार 593 और मसूर के लिये 30 हजार 430 किसानों ने पंजीयन करवाया है। प्रमुख सचिव किसान कल्याण एवं कृषि विकास डॉ. राजेश राजौरा ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि रबी सीजन में भावान्तर भुगतान योजना में फसलों की पंजीयन व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाएं।
    नि:शुल्क पंजीयन व्यवस्था : रबी सीजन में भावान्तर भुगतान योजना में किसानों के नि:शुल्क पंजीयन की व्यवस्था की गई है। किसानों को पंजीयन कराने के लिये आधार कार्ड, समग्र आईडी, ऋण पुस्तिका और बैंक पास बुक की फोटाकापी जमा करवानी होगी। मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड के प्रबंध संचालक ने भी पंजीयन व्यवस्था के संबंध में जिला कलेक्टरों से कहा है कि प्रति किसान औसत 2 हेक्टेयर लेण्ड-होल्डिंग के मान से जिले में किसानों की संख्या का आंकलन कर विशेष अभियान चलाकर शत-प्रतिशत पंजीयन की कार्यवाही की जाये।
    वान्तर भुगतान योजनारू मध्यप्रदेश में खरीफ-2017 में पहली बार मुख्यमंत्री भावान्तर भुगतान योजना पूरे प्रदेश में लागू की गई। इस योजना में प्रारंभ में 8 फसलों- सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उड़द और अरहर को शामिल किया गया। अब इस योजना में नियत अवधि में फसल का विक्रय करने की बजाय बाद के संभावित बेहतर बाजार मूल्य के लिये अपनी फसल लायसेंसी गोदाम में 4 माह रखने पर गोदाम भंडारण अनुदान का भी प्रावधान रखा गया है।  

माता-पिता का परित्याग कर उपेक्षा करने वाले शासकीय सेवकों के वेतन से कटेगी राशि

माता-पिता का परित्याग कर उपेक्षा करने वाले शासकीय सेवकों के वेतन से कटेगी राशि 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018
 


    राज्य शासन द्वारा माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण तथा कल्याण नियम 2009 में नियम 2(1) तथा नियम 14 में संशोधन किया है। संशोधन अनुसार ऐसे शासकीय सेवक जो अपने माता-पिता का परित्याग कर उपेक्षा करते है उनके मासिक वेतन से 10 प्रतिशत तक की राशि (अधिकतम दस हजार रूपए) काटी जाकर उनके माता पिता को भरण-पोषण हेतु देने का प्रावधान नीहित किया गया है।
 

दिव्यांग के साथ विवाह करने पर मिलेगी 2 लाख रूपयो की प्रोत्साहन राशि

दिव्यांग के साथ विवाह करने पर मिलेगी 2 लाख रूपयो की प्रोत्साहन राशि 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018


     सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांगों और वृद्धजनों के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इन्ही में से एक है निःशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना। योजना के तहत दम्पत्ति में से किसी एक के दिव्यांग होने पर 2 लाख रूपयो की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि एवं प्रशंसा पत्र देने का प्रावधान है। पूर्व में यह राशि 50 हजार रूपयो थी।
      इसी तरह विवाहित दम्पत्ति में से दोनों के दिव्यांग होने पर एक लाख रूपयो की प्रोत्साहन राशि एकमुश्त दी जाती है। साथ में प्रशंसा पत्र भी प्रदाय किया जाता है। पात्रता के लिए दम्पत्ति आयकर दाता नही होना चाहिए। यदि दिव्यांग व्यक्ति मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना अन्तर्गत सामूहिक विवाह करता है तो 25 हजार रूपयो की अतिरिक्त सहायता राशि सामग्री एवं कन्या के मोबाइल के लिए 3 हजार रूपयो की राशि दिए जाने के प्रावधान भी हैं। इस संबंध में अधिक जानकारी एवं योजना का लाभ उठाने के लिए कार्यालय  सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग में सम्पर्क किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक पेंशन योजना -

मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक पेंशन योजना 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018


    ऐसे माता-पिता जिनकी संतान केवल कन्या ही है, उनके लिए मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक पेंशन योजना संचालित की जा रही है। ऐसे माता-पिता को कन्या के विवाह उपरांत वृद्धावस्था में अकेला रहना पड़ता है। राज्य सरकार ने ऐसे दम्पत्ति जिसमें पति/पत्नी में से किसी भी एक की आयु 60 वर्ष या इससे अधिक हो एवं जिनकी जीवित संतान केवल कन्याएं हैं (जीवित पुत्र नही हैं) को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक पेंशन योजना अप्रैल 2013 से प्रारंभ की है। योजना का लाभ लेने के लिए हितग्राही आयकर दाता नही होना चाहिए। योजना के तहत ऐसे दम्पत्ति को प्रति माह 500 रूपयो पेंशन दी जाती है।

दीनदयाल अन्त्योदय योजना में मार्च का खाद्यान आवंटित -

दीनदयाल अन्त्योदय योजना में मार्च का खाद्यान आवंटित 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018

 
    खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण संचालनालय ने दीनदयाल अन्त्योदय रसोई योजना में सभी जिलों को मार्च माह के लिए 3047 क्विटंल गेहूं एवं चावल का आवंटन जारी कर दिया है। जिलों को गेहूं 1926 क्विंटल एवं चावल 1124 क्विंटल आवंटित किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत गेहूं एवं चावल एक रूपये प्रति किलो ग्राम के भाव से पात्र हितग्रहियों को दिया जाएगा। 
 

मार्च से शासकीय उचित मूल्य दुकान से राशन बायोमेट्रिक ऑथेन्टिकेशन से ही वितरित होगा -

मार्च से शासकीय उचित मूल्य दुकान से राशन बायोमेट्रिक ऑथेन्टिकेशन से ही वितरित होगा 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018
 


     राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि जिला मुख्यालय एवं विकासखण्ड क्षेत्रों की ग्रामीण शासकीय उचित मूल्य दुकानों में मार्च 2018 से आधार बेस बायोमेट्रिक ऑथेन्टिकेशन द्वारा ही खाद्यान वितरण किया जायेगा। इस हेतु यह जरूरी है कि शासकीय उचित मूल्य दुकान से खाद्यान प्राप्त करने वाले सभी परिवारों एवं उन सदस्यों का भी आधार नम्बर लेकर एनएफएसए में फीड किया जाये, जिनका आधार नम्बर अभी तक फीड नहीं है। समस्त शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालक संस्थाओं के प्रबंधकों को निर्देश देते हुये कहा है कि उपभोक्ताओं से उन सदस्यों के आधारकार्ड की छायाप्रति प्राप्त करें, जिनका आधार नम्बर अभी तक एनएफएसए पोर्टल में दर्ज नहीं है।

मार्च में ग्राम पंचायतों में चलेगा जलाभिषेक अभियान

मार्च में ग्राम पंचायतों में चलेगा जलाभिषेक अभियान 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018
 


    मार्च में जल अभिषेक अभियान ग्राम पंचायत स्तर पर चालाया जाएगा। इस दौरान ग्राम पंचायतों में ग्राम स्तरीय जल यात्रा का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए राजस्व विभाग के एसडीएम को नोडल अधिकारी और ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को क्षेत्र का समन्वयक अधिकारी नियुक्त किया गया है।
    इस अभियान के लिए विभिन्न विभागों की योजनाओं के अभिशरण और जन सहभागिता को प्रोत्साहित, जल संरक्षण गतिविधियों के सघन क्रियान्वयन पर केंद्रित रहेगी। अभियान के दौरान सामाजिक जुड़ा़व और वातावरण निर्माण, नवीन जल संरक्षण कार्यों जैसे कंटूर, खेत, तालाब तथा चेक डेम आदि का निर्माण कराया जायेगा।
 

बोर्ड परीक्षा 2018” परीक्षा संचालन में नियुक्त व्यक्तियों की सेवायें अत्यावश्यक घोषित

बोर्ड परीक्षा 2018” परीक्षा संचालन में नियुक्त व्यक्तियों की सेवायें अत्यावश्यक घोषित 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018
 


    राज्य शासन द्वारा वर्ष 2018 की बोर्ड परीक्षाओं के संबंध में अधिसूचना जारी कर माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षाओं से संबंधित सभी कार्यों के लिए नियुक्त किये गये व्यक्तियों की सेवाओं को अत्यावश्यक घोषित कर दिया गया है। उक्त अधिसूचना के तहत तीन माह की अवधि के लिए मंडल परीक्षाओं में अपेक्षित किसी भी प्रकार के कर्तव्य की अवहेलना करने पर ऐसे व्यक्ति दंड के भागी होंगे।
    उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 के प्रावधानों के तहत प्रति वर्ष अधिसूचना जारी कर राज्य शासन द्वारा परीक्षा संचालन में नियुक्त व्यक्तियों की सेवायें अत्यावश्यक घोषित की जाती हैं।
 

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के अन्तर्गत करें आवेदन -

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के अन्तर्गत करें आवेदन 

अनुपपुर | 04-मार्च-2018

    शासन द्वारा शिक्षित बेरोजगार युवाओं को स्वंय का रोजगार स्थापित करने के उद्देश्य से जिला व्यांपार एवं उद्योग केन्द्र के माध्यम से मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना का संचालन किया जा रहा है। योजना के प्रावधानों अनुसार 18 से 40 वर्ष आयु के कम से कम 10वीं कक्षा उत्तीर्ण ऐसे शिक्षित बेरोजगार जो बैंक डिफॉल्टर न हो एवं म.प्र. के मूल निवासी हो आवेदन कर सकते है। योजनान्तर्गत एम.पी.ऑनलाईन कियोस्क के माध्यम से 10 लाख से अधिक 2 करोड तक की परियोजना लागत के उद्योग एवं सेवा गतिविधि के ऋण-प्रकरण प्रस्तुत किये जा सकते है। योजनान्तर्गत परियोजना लागत अर्थात् प्लांट एवं मशीनरी में किये गये पूँजी निवेश का 15 प्रतिशत अधिकतम 12 लाख रूपये मार्जिन मनी अनुदान का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही स्थापित उद्योग सेवा उद्यम को 5 प्रतिशत की दर से 7 वर्षों तक ब्याज अनुदान एवं क्रेडिट ग्यारंटी शुल्क राशि 7 वर्षो तक देय होगी। 

भावांतर भुगतान योजना में पंजीयन की अंतिम तिथि 12 मार्च 2018

भावांतर भुगतान योजना में पंजीयन की अंतिम तिथि 12 मार्च 2018 
अनुपपुर | 04-मार्च-2018




    कृषकों को उनकी उपज का सही मूल्य प्रदान करने हेतु मध्यप्रदेश शासन की महत्वपूर्ण किसान हितैषी भावांतर भुगतान योजना अंतर्गत पंजीयन 12 फरवरी से प्रारंभ हो चुका है। किसान भाई खरीफ सत्र की भांति रबी फसलों का निःशुल्क पंजीयन उपार्जन केन्द्रों पर कर सकते है। भावांतर भुगतान योजनांतर्गत रबी हेतु कृषक बंधु चना, सरसों, जौ, प्याज फसलों का पंजीयन करवा सकते है। पंजीयन करवाने हेतु कृषकों को भू-अधिकार ऋण  पुस्तिका, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, समग्र आई डी पासपोर्ट फोटो एवं समस्त दस्तावेजों की छायाप्रतियों की आवश्यकता होगी। रबी वर्ष 2018 में चना, फसल हेतु 4400 रूपये प्रति क्विंटल, सरसों हेतु 4000 रूपये प्रति क्विंटल, मसूर हेतु 4250 रूपये प्रति क्विंटल, जौ हेतु 1410 रूपये प्रति क्विंटल एवं गेहूं हेतु 1735 रूपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की घोषणा शासन द्वारा की गई है। भावांतर भुगतान योजनांतर्गत पंजीयन की अंतिम तिथि 12 मार्च 2018 है। कृषक बंधुओं से अनुरोध किया गया है कि इस योजना में अधिक से अधिक संख्या में पंजीयन करवाकर अपनी उपज का सही मूल्य प्राप्त करें। अधिक जानकारी के लिए कृषक बंधु अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी तथा संबंधित सोसायटी अथवा कार्यालय उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास से संपर्क कर सकते है।

संभागीय समीक्षा बैठक 6 मार्च को

संभागीय समीक्षा बैठक 6 मार्च को
अनूपपुर 04 मार्च 2018/ कमिश्नर कार्यालय शहडोल के सभाकक्ष में 6 मार्च 2018 को अपरान्ह 1 बजे से संभागीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया है। बैठक में प्राचार्य शासकीय इंदिरा गांधी कन्या महाविद्यालय जिला शहडोल, प्राचार्य तुलसी महाविद्यालय जिला अनूपपुर, प्राचार्य रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय जिला उमरिया, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग जिला शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग पीआईयू जिला शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग (विद्युत यांत्रिकी) जिला शहडोल, उमरिया, अनूपपुर को कमिश्नर द्वारा बैठक में उपस्थित रहने के लिये निर्देशित किया गया है। 
समा.क्र./34/मिश्रा


अवकाश के दिनों में भी खुले रहेंगे पंजीयन कार्यालय

अवकाश के दिनों में भी खुले रहेंगे पंजीयन कार्यालय 
अनुपपुर | 03-मार्च-2018
 
 
    जनसामान्य को दस्तावेजों के पंजीयन कार्य में अधिक सुविधा देने के लिए महानिरीक्षक पंजीयन विभाग द्वारा समस्त जिलों के जिला पंजीयकों को निर्देश दिए हैं कि वे अवकाश के दिनों में भी खुले रखें। इस तारतम्य में जिला पंजीयक ने जिले के समस्त पंजीयन कार्यालयों के प्रभारियों को पंजीयन कार्यालय अवकाश के दिनों में खुले रखने के लिए निर्देशित किया है। 
 

टी.बी. रोगियों को मिलेंगे 500 रूपये

टी.बी. रोगियों को मिलेंगे 500 रूपये 
अनुपपुर | 03-मार्च-2018
 
 
   भारत को 2025 तक टी.बी. उन्मूलन का लक्ष्य दिया गया है। इसके लिये सभी टी.बी. रोगियों को 500 प्रति माह दिये जायेंगे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.पी.श्रीवास्तव ने बताया कि यह योजना 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी। इस योजना से क्षय रोगी उचित पोषण आहार की व्यवस्था कर सकते हैं एवं उसके जांच व इलाज के लिये आने-गजाने से संबंधित वाहन किराया भी सहायक होगा। जिससे टी.बी. उन्मूलन है यह सहायक होगा।
   मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.पी. श्रीवास्तव ने बताया कि समाज में प्रति एक लाख में 210 क्षय रोगी होते हैं। भारत में दुनिया के एक चौथाई क्षय रोगी है। देश के एक हजार क्षय रोगी रोज मर जाते हैं। हर दो मिनट में तीन रोगी। उच्च श्रेणी जांच एवं औषधियों से क्षय रोगियों को भृत्यु से बचाया जा सकेगा। सभी जन प्रतिनिधि एवं समाज सेवियों से अनुरोध है कि दो सप्ताह से अधिक खाँसी रोगियों को नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र भेजे।

सौभाग्य योजना से आठ लाख से अधिक घरों को मिले बिजली कनेक्शन

अनुपपुर | 03-मार्च-2018
    मध्यप्रदेश में सहज बिजली हर घर योजना सौभाग्य में अब तक 8 लाख 5 हजार 329 घरों को बिजली कनेक्शन देकर रोशनी से जगमग किया जा चुका है। इस योजना में 43 लाख घरों को बिजली कनेक्शन की सुविधा देने का लक्ष्य है।
      सौभाग्य योजना के क्रियान्वयन में तीन विद्युत वितरण कम्पनी और उनकी टीम लगातार कार्य कर रही है। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी को क्षेत्र के 20 जिलों के 15 लाख 7 हजार 20 कनेक्शनविहीन घरों को बिजली से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है। कम्पनी ने अब तक 2 लाख 41 हजार 68 घरों को बिजली कनेक्शन से जोड़ा है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने क्षेत्र के 16 जिलों के 18 लाख 55 हजार 325 बिजली कनेक्शन विहीन घरों के विद्युतीकरण के लक्ष्य के विरुद्ध 3 लाख 43 हजार 924 घरों को रोशन किया है। इसी प्रकार पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा क्षेत्र के 15 जिलों में 7 लाख 16 हजार 189 बिजली कनेक्शन विहीन घरों को बिजली सुविधा मुहैया करवाने के लक्ष्य के विरुद्ध 2 लाख 20 हजार 337 में बिजली कनेक्शन उपलब्ध करवा दिये गये हैं।
      सौभाग्य योजना में 60 प्रतिशत राशि केन्द्र से अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाई जा रही है। शेष 40 प्रतिशत राशि का प्रबंधन राज्य शासन एवं तीनों विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा किया जा रहा है। योजना में आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़े हितग्राहियों को निःशुल्क कनेक्शन दिये जा रहे हैं। अन्य हितग्राहियों से 500 रुपये की राशि 10 किश्तों में मासिक विद्युत बिल के साथ ली जायेगी।

निर्माण कार्यों की सामग्री का परीक्षण अधिकृत प्रयोगशालाओं से करवाने के निर्देश

राज्य शासन ने मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन द्वारा निर्माण कार्यों के स्थल निरीक्षण एवं जाँच के दौरान सामग्री का परीक्षण एनएबीएल अथवा आईएसओ/ आईईसी 17025 के तहत अधिमान्य प्रयोगशालाओं से करवाने के निर्देश दिये हैं। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव को परिपत्र जारी किया है। सामग्री का परीक्षण ठेकेदार के व्यय पर ही कराने और इन परीक्षणों पर होने वाले व्यय का भुगतान संबंधित विभाग को प्रयोगशालाओं को करने के लिये कहा गया है। प्रशासकीय विभाग प्रयोगशालाओं को किये गये भुगतान की वसूली ठेकेदार के देयकों से समायोजित करना सुनिश्चित करेगा।
    प्रदेश के विभिन्न विभागों में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सामान्य प्रशासन विभाग के तहत मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन का कार्यालय स्थापित है। संगठन द्वारा विभिन्न विभागों के निर्माण कार्यों का परीक्षण कर गुणवत्ता पूर्ण कार्य होने या नहीं होने की जाँच की जाती है।

मार्च माह के प्रथम कार्य दिवस की शुरुआत वन्देमातरम् के सामूहिक गायन के साथ हुई

संयुक्त कलेक्ट्रेट परिसर में मार्च माह के प्रथम कार्य दिवस की शुरुआत वन्देमातरम् एवं म.प्र. गान के सामूहिक गायन के साथ हुई। परिसर में लगने वाले सभी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने वन्देमातरम् एवं म.प्र. सामूहिक गायन में भाग लिया। 

आजीविका समूह से मदद लेकर पति को बनाया आत्मनिर्भर (सफलता की कहानी)

 म.प्र. दीनदयाल अंत्योदय योजना, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अनूपपुर अंतर्गत ग्राम कोठी, विकासखंड कोतमा की सुषमा कुशवाहा एक सामान्य जीवन जी रही थी। परिवार की पूरी आय खेती व मजदूरी पर निर्भर थी, पति के पास पूंजी की कमी के कारण घर का खर्च अच्छे से नहीं चल पा रहा था। घर में सास व ससुर भी हैं जिनका खर्च भी पति के खेती व मजदूरी की आय पर निर्भर था, बच्चों की अच्छी शिक्षा नहीं हो पा रही थी। एक आम गरीब परिवार की तरह पैसे की कमी हर काम मे आड़े आ जाती थी। 
    सुषमा के जीवन मे बदलाव तब प्रारंभ हुआ, जब वो आजीविका मिशन अंतर्गत संतोषी आजीविका स्व सहायता समूह से जुड़ीं और समूह की बैठकों में उपस्थित होकर नियमित बचत करने लगीं। समूह से लगातार जुड़े रहने तथा समूह सदस्यों को लगातार मिलने वाले प्रशिक्षणों से सुषमा को भी कुछ करने की प्रेरणा हुयी तथा पति के साथ मिलकर सब्जी व्यवसाय करने का निर्णय लिया एवं समूह से पंद्रह हजार रूपये ऋण लेने हेतु अपनी बात समूह के समक्ष रखी। समूह से ऋण प्राप्त होते ही उनके पति ने सब्जी व्यवसाय का काम प्रारंभ किया, धीरे-धीरे गतिविधि से फायदा होने लगा और गतिविधि से प्राप्त आय से ली गयी ऋण राशि वापस कर दी। समूह में जुड़नें के बाद गांव में एक अच्छी पहचान बनी, जिससे गांव, समाज व घर में सम्मान मिलने लगा। दूसरों पर निर्भरता समाप्त हुयी, आय होने लगी तो सोच के दायरे बड़े होते गये और कुछ नया करने की हिम्मत भी आयी। गतिविधि से होने वाली आय से पति ने मोटर सायकल भी खरीद लिया है तथा अपनी बाइक से नजदीकी हाट बजार में भी जा कर दुकान लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। कभी किसी तरह अपना और अपने परिवार का गुजारा करने वाली सुषमा और उसके पति आज प्रतिमाह 10 से 11 हजार रू. प्रतिमाह आय प्राप्त कर रहे
हैं एवं खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

आजीविका समूह से मदद लेकर पति को बनाया आत्मनिर्भर (सफलता की कहानी)

आजीविका समूह से मदद लेकर पति को बनाया आत्मनिर्भर (सफलता की कहानी) 
अनुपपुर | 21-फरवरी-2018
 
   
   म.प्र. दीनदयाल अंत्योदय योजना, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अनूपपुर अंतर्गत ग्राम कोठी, विकासखंड कोतमा की सुषमा कुशवाहा एक सामान्य जीवन जी रही थी। परिवार की पूरी आय खेती व मजदूरी पर निर्भर थी, पति के पास पूंजी की कमी के कारण घर का खर्च अच्छे से नहीं चल पा रहा था। घर में सास व ससुर भी हैं जिनका खर्च भी पति के खेती व मजदूरी की आय पर निर्भर था, बच्चों की अच्छी शिक्षा नहीं हो पा रही थी। एक आम गरीब परिवार की तरह पैसे की कमी हर काम मे आड़े आ जाती थी।
    सुषमा के जीवन मे बदलाव तब प्रारंभ हुआ, जब वो आजीविका मिशन अंतर्गत संतोषी आजीविका स्व सहायता समूह से जुड़ीं और समूह की बैठकों में उपस्थित होकर नियमित बचत करने लगीं। समूह से लगातार जुड़े रहने तथा समूह सदस्यों को लगातार मिलने वाले प्रशिक्षणों से सुषमा को भी कुछ करने की प्रेरणा हुयी तथा पति के साथ मिलकर सब्जी व्यवसाय करने का निर्णय लिया एवं समूह से पंद्रह हजार रूपये ऋण लेने हेतु अपनी बात समूह के समक्ष रखी। समूह से ऋण प्राप्त होते ही उनके पति ने सब्जी व्यवसाय का काम प्रारंभ किया, धीरे-धीरे गतिविधि से फायदा होने लगा और गतिविधि से प्राप्त आय से ली गयी ऋण राशि वापस कर दी। समूह में जुड़नें के बाद गांव में एक अच्छी पहचान बनी, जिससे गांव, समाज व घर में सम्मान मिलने लगा। दूसरों पर निर्भरता समाप्त हुयी, आय होने लगी तो सोच के दायरे बड़े होते गये और कुछ नया करने की हिम्मत भी आयी। गतिविधि से होने वाली आय से पति ने मोटर सायकल भी खरीद लिया है तथा अपनी बाइक से नजदीकी हाट बजार में भी जा कर दुकान लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। कभी किसी तरह अपना और अपने परिवार का गुजारा करने वाली सुषमा और उसके पति आज प्रतिमाह 10 से 11 हजार रू. प्रतिमाह आय प्राप्त कर रहे हैं एवं खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
मार्च माह के प्रथम कार्य दिवस की शुरुआत वन्देमातरम् के सामूहिक गायन के साथ हुई 
अनुपपुर | 01-मार्च-2018
  
    संयुक्त कलेक्ट्रेट परिसर में मार्च माह के प्रथम कार्य दिवस की शुरुआत वन्देमातरम् एवं म.प्र. गान के सामूहिक गायन के साथ हुई। परिसर में लगने वाले सभी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने वन्देमातरम् एवं म.प्र. सामूहिक गायन में भाग लिया। 
(3 days ago)
महिलाओं और बच्चों के लिए संवेदनशील बजट-मंत्री श्रीमती चिटनिस 
अनुपपुर | 03-मार्च-2018
    महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने गत दिवस मंत्रालय भोपाल में कहा है कि वर्ष 2018-19 का बजट महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण के प्रति मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा की बजट में महिलाओं, बच्चों तथा आँगनवाडी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं का ध्यान रखा गया है। पोषण आहार योजना, गर्भवती  एवं धात्री महिलाओं तथा किशोरी बालिकाओं के लिए अधिक राशि के प्रावधान और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं को अतिरिक्त मानदेय के लिए 642 करोड़ रूपये की व्यवस्था से आंगनवाड़ी सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।
    लाड़ली लक्ष्मी योजना के अन्तर्गत 909 करोड़ रूपये तथा किशोरी बालिका योजना में 275 करोड़ रूपये का प्रावधान महिला सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय पहल है। महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस ने जेण्डर बजट के प्रस्तुतिकरण की श्रंखला को जारी रखने की सराहना करते हुए कहा कि इससे शासन की नीतियों और महिलाओं के लिए वित्तीय संसाधनों को उपलब्ध कराने में सामंजस्य सुनिशिचत होगा।

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