सफलता की कहानी
रोहिणी को मिला जीने का मकसद
शासन के सहयोग से विकलांगता को दी मात
प्रतिमाह हो रही है 9 हजार की आय
अनूपपुर 22 अप्रैल 2018/ व्यक्ति का जीवन अनगिनत चुनौतियों से भरा है। भविष्य मे कुछ अच्छा करने की, स्थितियों मे सुधार की संभावना ही मनुष्य को आगे बढ्ने का बल प्रदान करती है। अगर ये संभावनाएं नष्ट हो जाए तो जीवन की राह बहुत दुष्कर हो जाती है। ऐसे समय मे उसे सही सलाह, सही रास्ते को दिखलाने वाले की आवश्यकता होती है। अनूपपुर के ग्राम खाड़ा की रोहिणी को ऐसी ही विपरीत परिस्थितियों मे ग्रामीण आजीविका मिशन ने राह दिखाई । रोहिणी को जीवन के कठिन क्षणो को पार करने का संबल प्रदान किया।
अनूपपुर की जनपद पंचायत जैतहरी अंतर्गत ग्राम पंचायत खाड़ा में निवासी करने वाली महिला रोहिणी दोनो पैर से दिव्यांग हैं, आपका विवाह कक्षा १० वीं की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद माता पिता द्वारा शहडोल जिले के ग्राम गिरवा में रामखेलावन सिंह के साथ कर दिया गया। शादी के कुछ दिनो बाद ही रामखेलावन दिव्यांग रोहणी को माता पिता के घर छोड चला गया। रोहिणी के परिवार मे समस्याओं की कोई कमी नहीं थी, माता पिता मजदूरी कर किसी प्रकार खुद का एवं भाई बहनो का पालन पोषण करते थे, गरीबी के कारण दो भाईयो व एक बहन भी अपनी पढ़ाई को चालू न रख पाये। ऐसे समय मे रोहिणी के साथ ऐसी घटना ने परिवार झकझोड़ कर रख दिया । गरीबी के साथ साथ मानसिक शांति भी चली गयी। रोहिणी के माता पिता जहां मजदूरी कर किसी प्रकार परिवार का भरण पोषण कर रहे थे ऐसे मे खुद के इलाज के खर्च मे बीमार होने के बाद भी जब रोहिणी अपने माता पिता को मजूदरी करने जाते देखती तो उसकी समाज से लड़कर अपना अस्तित्व बनाए रखने की चाह जाने लगी।
आजीविका के सहयोग से मिला सम्मान और परिवार
ऐसे मे रोहिणी को आशा की किरण दिखी आजीविका समूह द्वारा ज़िले मे चलाये जा रहे प्रयासो मे। रोहिणी बताती हैं कि गांव की महिलाओ को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा बनाए गए समूह से जुडते देखा और आजीविकाकी ग्राम नोडल अधिकारी संध्या मिश्रा से मिलकर स्व - सहायता समूह की गतिविधियो को जाना, जहां उन्होने मुझे आर्थिक रूप से स्वालंबन बनने की बात कही और दिसम्बर 2014 में मै राम स्व-सहायता समूह खाड़ा में जुडकर पहली बार 20 हजार रूपए समूह से ऋण प्राप्त कर उस रूपयो का उपयोग ईटा निर्माण के कार्य प्रारंभ किया, जिससे मुझे प्रतिमाह लगभग 5 से 6 हजार रूपए की आमदनी होने और इस बीच मेरे पति रामखेलावन सिंह भी मेरे पास आकर मेरे काम में हाथ बटाने लगे।
जिसके बाद मै अपनी आय से अपने घर का भरण पोषण कर अपने माता पिता का सहयोग करने लगी और वर्ष 2016 में मैने समूह से लिया 20 हजार रूपए का ऋण भी ब्याज सहित चुकता कर दिया और पुन: वर्ष 2017 में मैने दोबारा 10 हजार रूपए का ऋण लिया और उस रूपए का उपयोग महिला ने अपनी बंजर भूमि को उपजाऊ बनाते हुए परिवार के साथ मिल खेती करवाने लगी। जिससे मेरी आय खेती से भी 3 से 4 हजार रूपए प्रतिमाह होने लगी।
शासन के सहयोग से विकलांगता को दी मात
प्रतिमाह हो रही है 9 हजार की आय
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा बनाए गए समूह से जुडने के बाद ईटा निर्माण और कृषि से जहां रोहणी की आय आज लगभग 8 से 9 हजार रूपए प्रतिमाह होने लगी वही परिवार और समाज भी अब रोहिणी को सम्मान की दृष्टि से देखने लगा है। इतना ही नहीं रोहिणी ने अपनी मॉ गुड्डी बाई को भी आजीविका मिशन की राम स्व-सहायता समूह से जोडकर समूह से दो बार में 15 हजार रूपए का ऋण दिलाया, तथा उस ऋण का उपयोग अपनी बेटी द्वारा किए जा रहे कृषि और ईटा निर्माण कार्य पर लगा इस व्यवसाय के विस्तार मे सहयोग कर रही हैं ।
समूह से जुडने के बाद आज जहां रोहणी का पूरा परिवार समाज में सम्मान जनक जिंदगी जी रहा है वहीं दिव्यांग रोहणी को देख गांव की अन्य महिलाओ ने भी समूह से जुड अपने आप को अर्थिक रूप से सशक्त बनाने में लगी हुई है। रोहिणी कहती हैं मै अब अपने परिवार के भरण पोषण में सहयोग कर रही हूँ , मैं अब अपने माता पिता की सेवा का ऋण चुका पा रही हूँ, यह सब शासन के सहयोग से ही संभव हो सका है।